000 | 00855 a2200181 4500 | ||
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008 | 210902b2019 |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9789388260107 | ||
082 |
_aH824 _bSIM |
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100 | _aपाण्डेय, गिरीश चंद्रु | ||
245 | _aपंखुड़ियाँ अतद्वारंद्वों की | ||
260 |
_aकानपुर : _b अमन प्रकाशन, _c2019. |
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300 |
_a88 पु. ; _c20 से.मी. |
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650 | _aतृतीया लिंगा जीवन का प्रथम खंड काव्यात्मक आख्यान | ||
650 | _aप्रस्तुत खंडकाव्य और शिखंडी | ||
650 | _aप्रथम सर्ग | ||
700 | _a सिंह, विजेंद्र प्रताप | ||
942 |
_2ddc _cBK |
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999 |
_c255348 _d255348 |